एकाग्रता, ध्यान करने के पूर्व शांत, स्थिर, अचंचल निश्चल-नीरव होकर बैठें। दोनों नेत्र बंद कर लें। अब अपने ईष्ट से प्रार्थना करें।
हे प्रभो, मेरा शरीर, प्राण, मन, ह्रदय सब शांत हो जाये। पूर्ण शांत। पूर्ण स्थिर।
मेरे शरीर की बैचेनी को शांत कर दो, मेरे शरीर का प्रत्येक अंग, मेरी नस-नाड़ियाँ, समस्त कोशिकाएँ शांत हो जायें ।
ॐ शांति_ _ शांति_ _शांति_ _ _
हे प्रभो, मेरे प्राणों के अंदर की समस्त इच्छाएँ, कामनाएँ, लोभी प्रवृत्तियाँ सब कुछ शांत हो जायें ।
ॐ शांति_ _ शांति_ _शांति_ _ _
हे प्रभो, मेरे मन के विचारों का संघर्ष, मन की मटरगश्ती, विचारों का हाट बाजार, निरर्थक कल्पनाएँ, मानसिक तनाव सब शांत हो जायें।
ॐ शांति_ _ शांति_ _शांति_ _ _
हे प्रभो, मेरे ह्रदय के समस्त अशुद्ध, निरर्थक उठने वाले भावों से मुझे मुक्त कर दो। मेरे बैचेन ह्रदय को शांत कर दो। मेरे ह्रदय में परम शांति भर दो।
ॐ शांति_ _ शांति_ _शांति_ _ _
- अब मैं शांत हूँ।
- मेरा शरीर शांत है मेरे शरीर में सौंदर्य खिल रहा है।
- मेरा प्राण स्थिर और शांत है – मुझे उत्साह और ऊर्जा का अनुभव हो रहा है।
- मेरा मन विचारों के दबाव से मुक्त और शांत हो चुका है।
- मेरा ह्रदय अंदर गहराई में मधुर शांति और स्थिरता का अनुभव कर रहा है।
- एक गहन शांति ने मुझे अंदर किसी अतल-प्रशांत गहराई में पहुँचा दिया है।
- अब मैं, अब मैं सोच रहा हूँ।
- मैं कौन हूँ? मैं धरती पर क्यों आया हूँ? मेरे जीवन का लक्ष्य क्या है? मुझे करना क्या है? हे प्रभो, मुझे मार्ग दर्शन दो। मुझे पथ पर ले चलो।
– सुमन कोचर