दिव्य यात्रा – श्री अरविन्द सोसायटी इन्दौर
(म. प्र.)
सन् 1968 से आज तक
7 दिसंबर सन् 1950 शाजापुर म.प्र. में स्वतन्त्रता सेनानी, आयुर्वेदाचार्य और हौमयोपेथिक चिकित्सक श्री डॉ. बी.एल.गुप्ता दादाजी अपने गुरु विश्मात्मा ॐ श्री जी ( भगवन् ) के साथ ध्यान – साधना में रत थे l तभी महायोगी श्रीअरविन्द के स्वर्णिम तेजोमय प्रकाश का उन्हें दर्शन हुआ l वह दिव्य तेजोमय प्रकाश आकाश मार्ग से आकर उनकी देह में प्रवेश कर गया l यह एक अलौकिक अनुभव था l एक दिन सायंकालीन साधना में भगवन् ने दादाजी से कहा – दादा आपको पांडिचेरी जाकर श्री माँ का दर्शन कर आगे की साधना के लिये दिशा – दर्शन लेना है। अब आपको साधना में आगे का दिशा – दर्शन वे ही देंगी l
दादाजी ने सन् 1965 में श्री माँ को एक पत्र लिखा “माँ ! पिछले कुछ दिनों से मेरी आध्यात्मिक साधना अवरुद्ध हो गई है l कई अदिव्य शक्तियां मुझे घसीट रही हैl मैं अपनी करुण पुकार आपके पाद-पद्मों में निवेदन कर रहा हूँl मेरी सहायता करो l”
प्रत्युत्तर में श्री माँ ने लिखा – “ एक दिन अवश्य आयेगा ,जब प्रेम इस जगत को मृत्यु से मुक्त कर देगा l” गुरु भगवन् सेतु बने दादाजी को श्री माँ के दिव्य चरणों तक पहुचाने में l
सन् 1968 में 21 फ़रवरी श्री माँ के जन्म – दिवस पर दादाजी के साथ कुछ साधक श्री माँ के दर्शन हेतु पांडिचेरी गये l सबने प्रथम बार श्री माँ का गैलरी – दर्शन किया l 25 फरवरी को सभी साधक श्री माँ के दर्शन हेतु श्री माँ के कक्ष के बाहर कतार में खड़े थे l दादाजी कतार के अंत में थे l श्री माँ ने सभी के चित्र देखे और एक साधक से कहा – वह जो सबसे अंत में खड़े है – डॉ. भंवरलाल l उन्हें बुलाओ l साधक भी आश्चर्य चकित था ! श्री माँ ने कक्ष में बैठे – बैठे यह कैसे जान लिया ! दादाजी श्री माँ के कक्ष में गये l दिव्य सौन्दर्यमयी श्री माँ कुर्सी पर विराजमान थी l आत्म -विभोर दादाजी ने विनम्र भाव से उनके श्री चरणों में साष्टांग दण्डवत प्रणाम किया l दादाजी माँ – माँ का उच्चारण कर बच्चे की तरह फूट – फूटकर रोने लगे और श्री माँ के चरणों को अपनी अश्रुधारा से भिगोते रहे l श्री माँ ने स्वयं उन्हें कंधे से पकड़कर ऊपर उठाया और अपनी स्थिर दृष्टि से दादाजी के नेत्रों में देखती रही l
श्री माँ ने एक दिव्य , मधुर मुस्कान के साथ अपनी अपार कृपा के हाथ दादाजी के मस्तक पर रख दिये l दादाजी ने श्री माँ के रूपान्तरकारी दिव्य स्पर्श से अपनी आंतर चेतना और देह में एक अवर्णनीय – अलौकिक प्रकाश तथा रूपान्तरकारी शक्ति का जीवंत अनुभव किया l मानो श्री माँ ने एक जादूई कुंजी अचानक हाथ में दे दी l श्री माँ ने स्वयं दादाजी को अपने दिव्य हस्त कमलों से आशीर्वाद लिखकर पुष्प सहित प्रदान किए l
श्री माँ के आशीर्वाद और आज्ञा से सन् 1968 में इन्दौर ( म. प्र. ) में श्री डॉ. बी.एल. गुप्ता दादाजी ने श्री अरविन्द सोसायटी की स्थापना की l श्री माँ ने स्वयं उन्हें सचिव नियुक्त किया ऊर्जावान दादाजी ने श्री माँ के सच्चे बालक , सेवक तथा साधक के रूप में सबको दिव्य – प्रेम के सूत्र में बांधकर सतत् 34 वर्षों तक मानव चेतना के समग्र विकास हेतु बहुआयामी गतिविधियों को साधना के रूप में सम्पन्न किया। नियमित आतंरिक साधना के साथ -साथ बाह्य गतिविधियों का कार्य भी तीव्र गति से होने लगा l
साधक जुड़ने लगे और एक दिव्य समाज संगठित होने लगा l श्री अरविंद सोसायटी इन्दौर शाखा ने नये – नये क्षेत्रों में चरण बढ़ाए। सभी में श्रद्धा , प्रेम और भक्ति के साथ ज्ञान की अभिवृद्धि होने लगी l समय -समय पर श्री अरविन्द आश्रम से भी श्री माँ – श्री अरविन्द के भक्त साधकों का इन्दौर में आगमन हुआ l जिनमें – श्रद्धेय श्री चम्पकलालजी, श्रीचन्द्रदीपजी, विद्यावती जी ‘कोकिल’, श्री नवजातजी , श्री छोटेनारायणजी शर्मा , श्री महेश्वरीजी , श्री एम.पी. पंडितजी आदि के नाम उल्लेखनीय हैं l नियमित साधना , प्रार्थना , ध्यान , अध्ययन , सत्संग , संगोष्ठियों , अखिल भारतीय साधना – सम्मेलनों , व्याख्यान – मालाओं , समाचार – पत्रों में आलेख – प्रकाशन , विद्यालयों , महाविद्यालयों , संस्थाओं में शिक्षा , सर्वांगीण – स्वास्थ्य , जीवन – प्रबंधन , पर्यावरण ,प्राकृतिक जीवन – शैली , ललित – कला एवं संस्कृति, गर्भ – विज्ञान , योगासन , प्राणायाम ध्यान – शिविरों , प्रदर्शनियों , बालक , युवा तथा नारी वर्ग के सर्वांगीण – विकास – कार्यक्रमों के आयोजन होते रहे तथा सभी को श्री माँ की दिव्य उपस्थिति की अनुभूति होती रही l
सन् 1986 में दादाजी ने युवा वर्ग में देवत्व के जागरण के लिये – देवबाला संघ , देवबाल संघ , और नारी शक्ति संघ की स्थापना की l आज ये तीनों संघ श्री अरविन्द सोसायटी इन्दौर ( म.प्र.) के अंग बनकर श्री माँ के दिव्य कार्य को सुन्दरता और दिव्यता से कर रहे हैं l आज समूचे देश में ही नहीं बल्कि विश्व के अनेक स्थानों पर ये सभी आत्माएँ श्री माँ का दिव्य कार्य करते हुए साधना तथा अपनी चेतना के दिव्य रूपांतरण के प्रति सचेतन है और श्री माँ की उपस्थिति को अनुभव कर रही है l
मानव चेतना के दिव्य रूपान्तर और भगवान् की अभिव्यक्ति हेतु एक विशाल आध्यात्मिक , दिव्य – ऊर्जा – केंद्र के निर्माण का दिव्य संकल्प और तीव्र अभीप्सा दादाजी के अन्दर स्वत: स्फूर्त हो उठी l सभी साधक इस संकल्प के मूर्तिमान होने के दिव्य स्वप्न देखने लगे l शनैः शनैः आध्यात्मिक गतिविधियों के विस्तार हेतु एक विशाल दिव्य परिसर की आवश्यकता अनुभव हुई।
दिव्य स्वप्न साकार होने का भागवत मुहूर्त आया है l श्री अरविन्द की असीम कृपा और आशीर्वाद से श्री अरविन्द सोसायटी इन्दौर एअरपोर्ट के निकट छोटा बांगड़दा में अपने स्वामित्व के 13,495 वर्ग फीट भूखंड पर अतिशीघ्र
‘श्रीअरविन्द -विश्व –निलयम्’ का निर्माण कर श्री माँ – श्री अरविन्द के दिव्य -ग्रंथों की लायब्रेरी तथा श्री अरविन्द के दिव्य – देहांश की स्थापना करने हेतु कृत संकल्पित है l आइये, समूचे विश्व की मानव चेतना के रूपान्तर की साधना और सर्वांगीण विकास की नवीन गतिविधियों में हम सब सहभागी बनकर इस दिव्य यात्रा की एक स्वर्णिम कड़ी बनें ।
श्री मातृचरणों में
डॉ. सुमन कोचर (चेअरपरसन)
श्री अरविन्द सोसायटी इन्दौर