Auroville ऑरोविल

ऑरोविल              

ऑरोविल – उषा नगरी, उसी गतिविधि का व्यापकतर प्रसार है जो आश्रम की स्थापना के साथ आरंभ हुई थी। इसका नामकरण ‘श्रीअरविंद’ के नाम पर हुआ है और यह एक ऐसा वैश्व नगर बनना चाहता है जहां सभी देशों के लोग शांति और उत्तरोत्तर बढ़ती हुई समरसता के साथ रह सकें और तमाम मत-मतांतरों, राजनीति तथा राष्ट्रीयताओं से ऊपर उठ सकें। ऑरोविल का उद्देश्य है मानव एकता को मूर्त रूप देना ।

इस नगर की योजना ५०, ००० निवासियों को ध्यान में रखकर तैयार की गयी है। यह सौंदर्य के समस्त पक्षों और आयामों की अभिव्यक्ति होगा। इसे चार क्षेत्रों में बांटा  जायेगा – आवासीय, सांस्कृतिक, औद्योगिक औरअंतर्राष्ट्रीय ।

अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में स्थायी सांस्कृतिक मंडपों के द्वारा विविधता में एकता का ठोस उदाहरण प्रस्तुत किया जायेगा। यहां विश्व के विभिन्न राष्ट्रों की संस्कृतियों को इस प्रकार प्रतिनिधित्व मिलेगा जिससे उनका न केवल बौद्धिक दृष्टि से बोध हो सके प्रत्युत प्राणिक दृष्टि से आदतों, रीति-रिवाजों एवं सभी प्रकार के कला-रूपों को भी हृदयंगम किया जा सके और भौतिक स्तर पर भी वेश – भूषा,  खेल – कूद, उद्योग – धंधों,  खान – पान और प्राकृतिक दृश्यों की पुनर्रचनाके जरिये विशिष्ट सांस्कृतिक परिदृश्यों का परिचय दिया जा सके।

सांस्कृतिक और शैक्षिक क्षेत्र में, सभी विषयों के अध्ययन-अध्यापन की सुविधा के साथ-साथ ओरोविल में एक अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय भी होगा जो शायद विश्व में ऐसा पहला विश्वविद्यालय हो जिसे वैश्व एकता के ध्येय की प्राप्ति के लिये स्थापित किया जाये । वस्तुतः संपूर्ण ऑरोविल ही एक जीवंत विश्वविद्यालय होगा।

ऑरोविल में जीवन की सभी गतिविधियों का प्रतिनिधित्व होगा जैसे – उद्योग, कृषि, शिक्षा, कला, संस्कृति आदि जिससे हमारा व्यक्तिगत एवं सामूहिक संपूर्ण जीवन आध्यात्मिक रंग में पुनः ढाला जा सके।  प्रत्येक राष्ट्र का आह्वान किया जाएगा कि वह जिस परियोजना में अपना विशिष्ट योगदान दे सकता है उसमें दे, प्रत्येक निवासी को उस काम का चुनाव करने के लिए सहायता दी जाएगी जिसमें  वह विशेष प्रवीण होगा। कारण यह है कि ऑरोविल में काम कोई ऐसी चीज नहीं होगा जिसे व्यक्ति अपनी जीविका के लिए करने को बाध्य हो  बल्कि वह संपूर्ण समूह के लिये सेवाएं अर्पित करते हुए यह अनुभव करेगा कि उसका कार्य उसकी सर्वोत्तम संभावनाओं के विकास और अभिव्यक्ति का आनंदप्रद माध्यम है। अनेक लोगों का कहना है कि यह अब तक के समाज-विज्ञान का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण शोध-कार्य है।

ऑरोविल विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय आंदोलनों के केन्द्र के रूप में भी काम करेगा और उन सबको एक मंच प्रदान करेगा जो संपूर्ण विश्व को एक नया और श्रेष्ठतर जीवन देने की दिशा में प्रयत्नशील होंगे।

धरती पर विकास का अंत मनुष्य तक ही पहुंचकर नहीं हो सकता। वह सतत गतिशील है और मनुष्य के स्तर से भी आगे जायेगा। इसी अग्रगामी विकास के द्वारा वर्तमान मानवता अपने-आपको परिपूर्ण करेगी और अपनी आज की समस्त समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकेगी। और अंततः उन लोगों के लिये यह एक स्थल बन गया है जो सचेतन भाव से अपने विकास के लिये सन्नद्ध हैं।

ऑरोविल की नींव २८ फरवरी, १९६८ को पड़ी थी जब कि वैश्व सहयोग के प्रतीक के रूप में विश्व के विभिन्न देशों के बालक-बालिकाओं ने बहां एकत्र होकर अपने-अपने देश की मिट्टी कमल-कली के रूप निर्मित संगमरमर के एक पात्र में स्थापित की थी।

संयुक्त राष्ट्र शिक्षा विज्ञान संस्कृति संस्था- यूनेस्को ने ऑरोविल का एकमत से समर्थन किया है। ऑरोविल की स्थापना और विकास आरंभ में श्री अरविंद सोसायटी ने, जिसकी अध्यक्षा श्रीमां थी, किया था। १९८८ में उसे भारत सरकार ने अपने हाथ में ले लिया और इन दिनों उसका प्रशासन संसदीय अधिनियम के अंतर्गत निर्मित स्वायत्त अभिकरण ऑरोविल फाउन्डेशन कर रहा है।

सभी सद्भावी व्यक्तियों को ओरोविल की शुभ-कामनाएं। ऑरोविल उन सबको आमंत्रित करता है जो प्रगति के लिये अभीप्सु हैं और एक उच्चतर एवं सत्यनिष्ठ जीवन जीना चाहते हैं।

    ऑरोविल का घोषणा-पत्र

१. ऑरोविल किसी व्यक्ति- विशेष का स्थल नहीं है वह संपूर्ण मानवता का है लेकिन ऑरोविल में रहने के लिए यह आवश्यक है कि व्यक्ति भागवत चेतना का स्वेच्छया सेवक हो ।

२  कभी न समाप्त होने वाली शिक्षा निरंतर प्रगति एवं एकरस बनी रहने वाली तरुणाई का स्थल है।

३ अतीत और भविष्य के बीच का सेतु बनना चाहता है सभी भाइयों एवं आंतरिक अन्वेषणों  का लाभ उठाते हुए ऑरोविल साहस पूर्वक भविष्य की अनुभूतियों की ओर छलांग लगाएगा ।

४ ऑरोविल वास्तविक मानव एकता के जीवन स्वरूप को उजागर करने के लिए भौतिक एवं आध्यात्मिक अनुसंधान का स्थल बनेगा ।

                                                                                      -श्री माँ