Yoga “ सारा जीवन ही योग है ” – महायोगी श्री अरविंदयोग का मूल उद्देश्य है –मनुष्य को पशुभाव और मनुष्य भाव से ऊपर उठाकर देवभाव में स्थापित करना ।पूर्णयोग का आधार है – स्थिरता, शांति और समता । चंचल मन में योग की नीव रखना असंभव है ।जब तक मानव मन पूर्णतया अचंचल न हो या उसके अंदर मन की पूर्णशुद्धि का संकल्प न हो तब तकदिव्य संस्कार मानव के अंदर स्थिर नहीं हो सकते।