दिव्य बालक
बालक एक आत्मा है, जिसका अपना अस्तित्व है, अपनी प्रकृति है, अपनी क्षमताएं हैं, और जिसे इन तक पहुंचने के लिए सहायता दी जानी चाहिये, ताकि वह अपने शुद्ध शुद्ध स्वरूप को पहचान सके। सच्ची परिपक्वता प्राप्त कर सके । अपनी शारीरिक क्षमता और प्राणिक ऊर्जा को प्राप्त करे तथा अपनी सत्ता के भावनात्मक बौद्धिक एवं आध्यात्मिक, शिखरों, गहराईयों और विशालताओं को छू सके।”
-श्री अरविन्द
बालक के लिए सर्वोत्तम उपहार-
- झूठ कभी नहीं बोलना।
- हिंसा, क्रोध, रोष पर नियंत्रण करने की आदत डालना।
- अपने आपको जानना और अपना स्वामी बनना सीखना;
ऐसे बालक अतिमानव (सुपरमैन) बन सकते हैं।
–श्री माँ