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When you have faith in God, you don't have to worry about the future. You just know it's all in His hands. You just go to and do your best.
"भौतिक स्तर पर भगवान अपने आप को सौंदर्य में प्रकट करते हैं ।
भौतिक जगत् में और सब चीजों की अपेक्षा सौंदर्य भगवान् को सबसे अच्छी तरह अभिव्यक्त करता है । भौतिक जगत् , रूप और आकार का जगत् है, और रूप की पूर्णता ही सौंदर्य है । सौंदर्य शाश्वत का निर्वचन करता, उसे प्रकट और अभिव्यक्त करता है । उसकी भूमिका है सारी अभिव्यक्त प्रकृति को रूप और आकार की पूर्णता के द्वारा सामंजस्य द्वारा और ऊपर उठाने वाले तथा किसी उच्चतर की ओर ले जाने वाले आदर्श के द्वारा ‘शाश्वत’ के संपर्क में लाना ।
सर्वश्रेष्ठ कला ऐसे सौंदर्य को प्रकट करती है जो तुम्हें ‘भागवत’ सामंजस्य के संपर्क में ला देता है ।अगर कला को दिव्य ‘जीवन’ में कुछ अभिव्यक्त करना है, तो वहां भी, विशाल और ज्योतिर्मय शांति को अपने- आपको प्रकट करना चाहिये ।
आध्यात्मिक सौंदर्य में संक्रामक शक्ति होती है ।सौंदर्य प्रकृति का आनन्दमय समर्पण है ।सच्ची कला का अर्थ है भौतिक जगत् में सौंदर्य की अभिव्यक्ति । पूर्णतया परिवर्तित जगत् में यानी समग्र रूप में से भागवत सव्दस्तु की अभिव्यक्ति में कला को जीवन में दिव्य सौंदर्य को प्रकट करने वाला और शिक्षक होना चाहिये कला में भी हमें ऊंचाइयों पर रहना चाहिये ।सुरुचि कला की कुलीनता है ।