"
When you have faith in God, you don't have to worry about the future. You just know it's all in His hands. You just go to and do your best.
"एक बात तो स्पष्ट मालूम होती है कि मानवजाति अत्यधिक क्रियाशीलता एवं व्यापक संत्रास के कारण आम तनाव- प्रयास में तनाव, काम में तनाव, यहां तक कि दैनिक जीवन में भी तनाव की एक ऐसी विशेष अवस्था तक आ पहुंची है कि लगता है मानों समग्र मानव समूह उस बिन्दु तक आ गया है जहां या तो इसे अवरोध को तोड़ कर एक नयी चेतना में जन्म लेना होगा या फिर से अंधकार एवं तमस् की खाई में पुनः जा गिरना होगा ।
यह तनाव इतना पूर्ण और व्यापक है कि स्पष्ट ही किसी न किसी चीज को तो टूटना ही होगा । यह इस तरह चलता नहीं रह सकता । हम इसे जड़-पदार्थ में बल, चेतना एवं शक्ति के नये तत्त्व के अवमिश्रण का एक निश्चित संकेत मान सकते हैं जो अपने ही दबाव से यह विकट स्थिति उत्पन्न कर रहा है । बाहरी तौर पर ‘प्रकृति‘ के द्वारा उन्हीं पुराने साधनों की अपेक्षा की जा सकती है जिनका उपयोग वह उथल-पुथल मचाने के लिए करती है; परन्तु यहां एक नया लक्षण है जो श्रेष्ठ मनुष्यों के विशिष्ट वर्ग में ही दीख रहा है और यह श्रेष्ठ वर्ग भी काफी फैला हुआ है – एक ही बिन्दु पर, विश्व में एक ही स्थान पर केन्द्रित नहीं है । दुनिया में सब जगह, सब देशों में इसकी विद्यमानता के संकेत मिलते हैं; एक नया उच्चतर, उत्तरोत्तर प्रगतिशील समाधान पाने की प्रबल इच्छा, एक विशालतर, अधिक सर्वतोन्मुखी पूर्णता की ओर उठने का प्रयास ।…